मोहम्मद इक़बाल कविताएँ
आता है याद मुझ को गुज़रा हुआ ज़माना
आता है याद मुझ को गुज़रा हुआ ज़माना आता है याद मुझको गुज़रा हुआ ज़माना वो बाग़ की बहारें, वो सब का चह-चहाना आज़ादियाँ कहाँ…
गेसू-ए- ताबदार को और भी ताबदार कर
गेसू-ए- ताबदार को और भी ताबदार कर गेसू-ए- ताबदार को और भी ताबदार कर होश-ओ-ख़िराद शिकर कर क़ल्ब-ओ-नज़र शिकर कर तू है महीत-ए-बेकराँ मैं ज़रा…
तेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूँ
तेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूँ तेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूँ मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ सितम हो कि हो वादा-ए-बेहिजाबी कोई बात…
मजनूँ ने शहर छोड़ा है सहरा भी छोड़ दे
मजनूँ ने शहर छोड़ा है सहरा भी छोड़ दे मजनूँ ने शहर छोड़ा है सहरा भी छोड़ दे नज़्ज़ारे की हवस हो तो लैला भी छोड़…
सच कह दूँ ऐ ब्रह्मन गर तू बुरा न माने
सच कह दूँ ऐ ब्रह्मन गर तू बुरा न माने सच कह दूँ ऐ ब्रह्मन गर तू बुरा न माने तेरे सनम कदों के बुत…
असर करे न करे सुन तो ले
असर करे न करे सुन तो ले मेरी फ़रियाद असर करे न करे सुन तो ले मेरी फ़रियाद नहीं है दाद का तालिब ये बंद-ए-आज़ाद…
चमने-ख़ार-ख़ार है दुनिया
चमने-ख़ार-ख़ार है दुनिया चमने-ख़ार-ख़ार है दुनिया ख़ूने-सद नौबहार है दुनिया जान लेती है जुस्तजू इसकी दौलते-ज़ेरे-मार है दुनिया ज़िन्दगी नाम रख दिया किसने मौत का इंतज़ार है…
दयारे-इश्क़ में अपना मुक़ाम पैदा कर
दयारे-इश्क़ में अपना मुक़ाम पैदा कर अपने पुत्र के लिए लंदन से भेजा गया उनका पहला ख़त दयारे-इश्क़ में अपना मुक़ाम पैदा कर नया ज़माना…
मता-ए-बे-बहा है दर्द-ओ-सोज़-ए-आरज़ू-मंदी
मता-ए-बे-बहा है दर्द-ओ-सोज़-ए-आरज़ू-मंदी मता-ए-बे-बहा है दर्द-ओ-सोज़-ए-आरज़ू-मंदी मक़ाम-ए-बंदगी दे कर न लूँ शान-ए-ख़ुदावंदी तेरे आज़ाद बंदों की न ये दुनिया न वो दुनिया यहाँ मरने की…
हकी़क़ते-हुस्न
हकी़क़ते-हुस्न ख़ुदा से हुस्न ने इक रोज़ ये सवाल किया जहाँ में क्यों ना मुझे तुने लाज़वाल किया। मिला जवाब के तस्वीरख़ाना है दुनिया शबे-दराज़…
आम मशरिक़ के मुसलमानों
आम मशरिक़ के मुसलमानों का दिल मगरिब में जा अटका है आम मशरिक़ के मुसलमानों का दिल मगरिब में जा अटका है वहाँ कुंतर सब…
जमहूरियत
जमहूरियत जमहूरियत इस राज़को इक मर्दे-फ़िरंगी ने किया फ़ाश हरचंद कि दानाइसे खोला नही करते जमहूरियतइक तर्ज़े-हुकूमतहै कि जिसमें बन्दों को गिना करते है तोला नहीं…
दिल सोज़ से ख़ाली है निगह पाक नहीं है
दिल सोज़ से ख़ाली है निगह पाक नहीं है दिल सोज़ से ख़ाली है निगह पाक नहीं है फिर इस में अजब क्या के तू…
मुहब्बत का जुनूँ बाक़ी नहीं है
मुहब्बत का जुनूँ बाक़ी नहीं है मोहब्बत क जुनूँ बाक़ी नहीं है मुसलमानों में ख़ून बाक़ी नहीं है सफ़ें कज, दिल परेशन, सज्दा बेज़ूक के…
हर मुक़ाम से आगे मुक़ाम
हर मुक़ाम से आगे मुक़ाम है तेरा ख़िर्द के पास ख़बर के सिवा कुछ और नहीं तेरा इलाज नज़र के सिवा कुछ और नहीं हर…
एक आरज़ू
एक आरज़ू दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या-रब क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो शोरिश से भागता हूँ…
ज़मिस्तानी हवा में गरचे थी शमशीर की तेज़ी
ज़मिस्तानी हवा में गरचे थी शमशीर की तेज़ी ज़मिस्तानी हवा में गरचे थी शमशीर की तेज़ी न छूटे मुझ से लंदन में भी आदाब-ए-सहर-ख़ेज़ी कहीं…
न तख़्त ओ ताज में ने लश्कर ओ सिपाह
न तख़्त ओ ताज में ने लश्कर ओ सिपाह न तख़्त ओ ताज में ने लश्कर ओ सिपाह में है जो बात मर्द-ए-क़लंदर की बार-गाह…
मेरी नवा-ए-शौक़ से शोर हरीम-ए-ज़ात में
मेरी नवा-ए-शौक़ से शोर हरीम-ए-ज़ात में मेरी नवा-ए-शौक़ से शोर हरीम-ए-ज़ात में ग़ुलग़ुला-हा-ए-अल-अमाँ बुत-कदा-ए-सिफ़ात में हूर ओ फ़रिश्ता हैं असीर मेरे तख़य्युलात में मेरी निगाह…
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं सितारों के आगे जहाँ और भी हैं अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं तही ज़िन्दगी से नहीं ये फ़ज़ायें…
क्या कहूँ अपने चमन से मैं जुदा क्योंकर हुआ
क्या कहूँ अपने चमन से मैं जुदा क्योंकर हुआ क्या कहूँ अपने चमन से मैं जुदा क्योंकर हुआ और असीरे-हल्क़ा-ए-दामे-हवा क्योंकर हुआ जाए हैरत है बुरा…
ज़मीं-ओ-आसमाँ मुमकिन है
ज़मीं-ओ-आसमाँ मुमकिन है मुमकिन है के तु जिसको समझता है बहाराँ औरों की निगाहों में वो मौसम हो ख़िज़ाँ का है सिल-सिला एहवाल का हर…
न तू ज़मीं के लिए है न आसमाँ के लिए
न तू ज़मीं के लिए है न आसमाँ के लिए न तू ज़मीं के लिए है न आसमाँ के लिए जहाँ है तेरे लिए तू…
मेरा वतन वही है
मेरा वतन वही है चिश्ती ने जिस ज़मीं पे पैग़ामे हक़ सुनाया, नानक ने जिस चमन में बदहत का गीत गाया, तातारियों ने जिसको अपना…
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिस्ताँ हमारा ग़ुरबत में हों अगर हम, रहता…
कभी ऐ हक़ीक़त-ए- मुन्तज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में
कभी ऐ हक़ीक़त-ए- मुन्तज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुन्तज़र! नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में के हज़ारों सज्दे तड़प रहे हैं तेरी जबीन-ए-नियाज़ में तरब आशना-ए-ख़रोश हो…
जवाब-ए-शिकवा
जवाब-ए-शिकवा दिल से जो बात निकलती है असर रखती है । पर नहीं, ताकत-ए-परवाज़ मगर रखती है । क़दसी अलासल है, रफ़ात पे नज़र रखती…
नया शिवाला
नया शिवाला सच कह दूँ ऐ बिरहमन गर तू बुरा न माने तेरे सनमकदों के बुत हो गये पुराने अपनों से बैर रखना तू ने बुतों…
मुझे आहो-फ़ुगाने-नीमशब का
मुझे आहो-फ़ुगाने-नीमशब का मुझे आह-ओ-फ़ुग़ान-ए-नीम-शब का फिर पयाम आया थम ऐ रह-रौ के शायद फिर कोई मुश्किल मक़ाम आया ज़रा तक़दीर की गहराइयों में डूब…
हम मश्रिक़ के मुसलमानों का दिल
हम मश्रिक़ के मुसलमानों का दिल हम मशरिक़ के मुसलमानों का दिल मग़रिब में जा अटका है वहाँ कुंतर सब बिल्लोरी है, यहाँ एक पुराना…
ख़िरदमंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है
ख़िरदमंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है ख़िरदमन्दोंसे क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है कि मैं इस फ़िक्र में रहता हूँ मेरी इंतिहा क्या…
जिन्हें मैं ढूँढता था आसमानों में ज़मीनों में
जिन्हें मैं ढूँढता था आसमानों में ज़मीनों में जिन्हें मैं ढूँढता था आस्मानों में ज़मीनों में वो निकले मेरे ज़ुल्मतख़ाना-ए-दिल के मकीनोंमें अगर कुछ आशना होता मज़ाक़े-…
न आते हमें इसमें तकरार क्या थी
न आते हमें इसमें तकरार क्या थी न आते हमें इसमें तकरार क्या थी मगर वादा करते हुए आरक्या थी तुम्हारे पयामी ने ख़ुद राज़ खोला…
मेरी निगाह में है मोजज़ात की दुनिया
मेरी निगाह में है मोजज़ात की दुनिया मेरी निगाह में है मोजज़ातकी दुनिया मेरी निगाह में है हादिसातकी दुनिया तख़ैयुलात की दुनिया ग़रीब है लेकिन ग़रीबतर…
साक़ी
साक़ी नशा पिला के गिराना तो सबको आता है, मज़ा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी। जो बादाकश थे पुराने वे उठते…
ख़िरद के पास ख़बर के सिवा कुछ और नहीं
ख़िरद के पास ख़बर के सिवा कुछ और नहीं ख़िरद के पास ख़बर के सिवा कुछ और नहीं तेरा इलाज नज़र के सिवा कुछ और नहीं…
जब इश्क़ सताता है आदाबे-ख़ुदागाही
जब इश्क़ सताता है आदाबे-ख़ुदागाही जब इश्क़ सिखाता है आदाब-ए-ख़ुद-आगाही खुलते हैं ग़ुलामों पर असरार-ए-शहंशाही ‘अत्तार’ हो ‘रूमी’ हो ‘राज़ी’ हो ‘ग़ज़ाली’ हो कुछ हाथ…
नसीहत
नसीहत बच्चा-ए-शाहीं से कहता था उक़ाबे-साल -ख़ुर्द ऐ तिरे शहपर पे आसाँ रिफ़अते- चर्ख़े-बरीं है शबाबअपने लहू की आग मे जलने का काम सख़्त-कोशीसे है…
ये पयाम दे गई है मुझे
ये पयाम दे गई है मुझे ये पयाम दे गई है मुझे बादे- सुबहशाही कि ख़ुदी के आरिफ़ों का है मक़ाम पादशाही तेरी ज़िंदगी इसी…
है कलेजा फ़िग़ार होने को
है कलेजा फ़िग़ार होने को है कलेजा फ़िगार होने को दामने-लालाज़ार होने को इश्क़ वो चीज़ है कि जिसमें क़रार चाहिए बेक़रार होने को जुस्तजू-ए-क़फ़स…
उक़ाबी शान से झपटे थे जो
उक़ाबी शान से झपटे थे जो बे-बालो-पर निकले उक़ाबीशान से झपटे थे जो बे-बालो-परनिकले सितारे शाम को ख़ूने-फ़लक़में डूबकर निकले हुए मदफ़ूने-दरियाज़ेरे-दरियातैरने वाले तमाँचेमौज के…
जिस खेत से दहक़ाँ को
जिस खेत से दहक़ाँ को मयस्सर नहीं रोज़ी उट्ठो मेरी दुनिया के ग़रीबों को जगा दो ख़ाक-ए-उमरा के दर-ओ-दीवार हिला दो गरमाओ ग़ुलामों का लहू…
नहीं मिन्नत-कश-ए-ताब-ए-शनीदन दास्ताँ मेरी
नहीं मिन्नत-कश-ए-ताब-ए-शनीदन दास्ताँ मेरी नहीं मिन्नत-कश-ए-ताब-ए-शनीदन दास्ताँ मेरी ख़ामोशी गुफ़्तगू है, बेज़ुबानी है ज़बाँ मेरी ये दस्तूर-ए-ज़बाँ-बंदी है कैसी तेरी महफ़िल में यहाँ तो बात…
राम
राम लबरेज़ है शराबे-हक़ीक़त से जामे-हिन्द सब फ़ल्सफ़ी हैं खित्ता-ए-मग़रिब के रामे हिन्द ये हिन्दियों के फिक्रे-फ़लक उसका है असर, रिफ़अत में आस्माँ से भी ऊँचा है…
हादसा वो जो अभी पर्दा-ए-अफ़लाक में है
हादसा वो जो अभी पर्दा-ए-अफ़लाक में है हादसा वो जो अभी पर्दा-ए-अफ़लाक में है अक्स उस का मेरे आईना-ए-इदराक में है न सितारे में है…
ख़ुदा के बन्दे तो हैं
ख़ुदा के बन्दे तो हैं हज़ारों बनो में फिरते हैं मारे-मारे ज़माना आया है बेहिजाबी का, आम दीदार-ए-यार होगा सुकूत था परदादार जिसका वो राज़…
जुगनू
जुगनू सुनाऊँ तुम्हे बात एक रात की, कि वो रात अन्धेरी थी बरसात की, चमकने से जुगनु के था इक समा, हवा में उडें जैसे…
परवाना और जुगनू
परवाना और जुगनू परवाना परवाने की मंज़िल से बहुत दूर है जुगनू क्यों आतिशे-बेसूद से मग़रूर है जुगनू जुगनू अल्लाह का सो शुक्र कि परवाना नहीं मैं…
लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी
लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी ज़िन्दगी शमअ की सूरत हो ख़ुदाया मेरी दूर दुनिया का…
अक़्ल ने एक दिन ये दिल
अक़्ल ने एक दिन ये दिल से कहा अक़्ल ने एक दिन ये दिल से कहा भूले-भटके की रहनुमा हूँ मैं दिल ने सुनकर कहा-ये…