क्या कहूँ अपने चमन से मैं जुदा क्योंकर हुआ

क्या कहूँ अपने चमन से मैं जुदा क्योंकर हुआ  क्या कहूँ अपने चमन से मैं जुदा क्योंकर हुआ  और असीरे-हल्क़ा-ए-दामे-हवा क्योंकर हुआ जाए हैरत है बुरा…

ادامه مطلب

ज़मीं-ओ-आसमाँ मुमकिन है

ज़मीं-ओ-आसमाँ मुमकिन है  मुमकिन है के तु जिसको समझता है बहाराँ औरों की निगाहों में वो मौसम हो ख़िज़ाँ का है सिल-सिला एहवाल का हर…

ادامه مطلب

न तू ज़मीं के लिए है न आसमाँ के लिए

न तू ज़मीं के लिए है न आसमाँ के लिए  न तू ज़मीं के लिए है न आसमाँ के लिए जहाँ है तेरे लिए तू…

ادامه مطلب

मेरा वतन वही है

मेरा वतन वही है  चिश्ती ने जिस ज़मीं पे पैग़ामे हक़ सुनाया, नानक ने जिस चमन में बदहत का गीत गाया, तातारियों ने जिसको अपना…

ادامه مطلب

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा  सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिस्ताँ हमारा  ग़ुरबत में हों अगर हम, रहता…

ادامه مطلب

कभी ऐ हक़ीक़त-ए- मुन्तज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में

कभी ऐ हक़ीक़त-ए- मुन्तज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में  कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुन्तज़र! नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में के हज़ारों सज्दे तड़प रहे हैं तेरी जबीन-ए-नियाज़ में तरब आशना-ए-ख़रोश हो…

ادامه مطلب

जवाब-ए-शिकवा

जवाब-ए-शिकवा दिल से जो बात निकलती है असर रखती है । पर नहीं, ताकत-ए-परवाज़ मगर रखती है । क़दसी अलासल है, रफ़ात पे नज़र रखती…

ادامه مطلب

नया शिवाला

नया शिवाला  सच कह दूँ ऐ बिरहमन गर तू बुरा न माने तेरे सनमकदों के बुत हो गये पुराने अपनों से बैर रखना तू ने बुतों…

ادامه مطلب

मुझे आहो-फ़ुगाने-नीमशब का

मुझे आहो-फ़ुगाने-नीमशब का  मुझे आह-ओ-फ़ुग़ान-ए-नीम-शब का फिर पयाम आया थम ऐ रह-रौ के शायद फिर कोई मुश्किल मक़ाम आया ज़रा तक़दीर की गहराइयों में डूब…

ادامه مطلب

हम मश्रिक़ के मुसलमानों का दिल

हम मश्रिक़ के मुसलमानों का दिल  हम मशरिक़ के मुसलमानों का दिल मग़रिब में जा अटका है वहाँ कुंतर सब बिल्लोरी है, यहाँ एक पुराना…

ادامه مطلب

ख़िरदमंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है

ख़िरदमंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है  ख़िरदमन्दोंसे क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है कि मैं इस फ़िक्र में रहता हूँ मेरी इंतिहा क्या…

ادامه مطلب

जिन्हें मैं ढूँढता था आसमानों में ज़मीनों में

जिन्हें मैं ढूँढता था आसमानों में ज़मीनों में  जिन्हें मैं ढूँढता था आस्मानों में ज़मीनों में वो निकले मेरे ज़ुल्मतख़ाना-ए-दिल के मकीनोंमें अगर कुछ आशना होता मज़ाक़े-…

ادامه مطلب

न आते हमें इसमें तकरार क्या थी

न आते हमें इसमें तकरार क्या थी  न आते हमें इसमें तकरार क्या थी मगर वादा करते हुए आरक्या थी तुम्हारे पयामी ने ख़ुद राज़ खोला…

ادامه مطلب

मेरी निगाह में है मोजज़ात की दुनिया

मेरी निगाह में है मोजज़ात की दुनिया  मेरी निगाह में है मोजज़ातकी दुनिया मेरी निगाह में है हादिसातकी दुनिया तख़ैयुलात की दुनिया ग़रीब है लेकिन ग़रीबतर…

ادامه مطلب

साक़ी

साक़ी  नशा पिला के गिराना तो सबको आता है, मज़ा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी। जो बादाकश थे पुराने वे उठते…

ادامه مطلب

ख़िरद के पास ख़बर के सिवा कुछ और नहीं

ख़िरद के पास ख़बर के सिवा कुछ और नहीं  ख़िरद के पास ख़बर के सिवा कुछ और नहीं तेरा इलाज नज़र के सिवा कुछ और नहीं…

ادامه مطلب

जब इश्क़ सताता है आदाबे-ख़ुदागाही

जब इश्क़ सताता है आदाबे-ख़ुदागाही  जब इश्क़ सिखाता है आदाब-ए-ख़ुद-आगाही खुलते हैं ग़ुलामों पर असरार-ए-शहंशाही ‘अत्तार’ हो ‘रूमी’ हो ‘राज़ी’ हो ‘ग़ज़ाली’ हो कुछ हाथ…

ادامه مطلب

नसीहत

नसीहत बच्चा-ए-शाहीं से कहता था उक़ाबे-साल -ख़ुर्द ऐ तिरे शहपर पे आसाँ रिफ़अते- चर्ख़े-बरीं है शबाबअपने लहू की आग मे‍ जलने का काम सख़्त-कोशीसे है…

ادامه مطلب

ये पयाम दे गई है मुझे

ये पयाम दे गई है मुझे  ये पयाम दे गई है मुझे बादे- सुबहशाही कि ख़ुदी के आरिफ़ों का है मक़ाम पादशाही तेरी ज़िंदगी इसी…

ادامه مطلب

है कलेजा फ़िग़ार होने को

है कलेजा फ़िग़ार होने को है कलेजा फ़िगार होने को दामने-लालाज़ार होने को इश्क़ वो चीज़ है कि जिसमें क़रार चाहिए बेक़रार होने को जुस्तजू-ए-क़फ़स…

ادامه مطلب

उक़ाबी शान से झपटे थे जो

उक़ाबी शान से झपटे थे जो बे-बालो-पर निकले उक़ाबीशान से झपटे थे जो बे-बालो-परनिकले सितारे शाम को ख़ूने-फ़लक़में डूबकर निकले हुए मदफ़ूने-दरियाज़ेरे-दरियातैरने वाले तमाँचेमौज के…

ادامه مطلب

जिस खेत से दहक़ाँ को

जिस खेत से दहक़ाँ को मयस्सर नहीं रोज़ी उट्ठो मेरी दुनिया के ग़रीबों को जगा दो ख़ाक-ए-उमरा के दर-ओ-दीवार हिला दो गरमाओ ग़ुलामों का लहू…

ادامه مطلب

नहीं मिन्नत-कश-ए-ताब-ए-शनीदन दास्ताँ मेरी

नहीं मिन्नत-कश-ए-ताब-ए-शनीदन दास्ताँ मेरी  नहीं मिन्नत-कश-ए-ताब-ए-शनीदन दास्ताँ मेरी ख़ामोशी गुफ़्तगू है, बेज़ुबानी है ज़बाँ मेरी ये दस्तूर-ए-ज़बाँ-बंदी है कैसी तेरी महफ़िल में यहाँ तो बात…

ادامه مطلب

राम

राम  लबरेज़ है शराबे-हक़ीक़त से जामे-हिन्द  सब फ़ल्सफ़ी हैं खित्ता-ए-मग़रिब के रामे हिन्द  ये हिन्दियों के फिक्रे-फ़लक उसका है असर, रिफ़अत में आस्माँ से भी ऊँचा है…

ادامه مطلب

हादसा वो जो अभी पर्दा-ए-अफ़लाक में है

हादसा वो जो अभी पर्दा-ए-अफ़लाक में है  हादसा वो जो अभी पर्दा-ए-अफ़लाक में है अक्स उस का मेरे आईना-ए-इदराक में है न सितारे में है…

ادامه مطلب

ख़ुदा के बन्दे तो हैं

ख़ुदा के बन्दे तो हैं हज़ारों बनो‌ में फिरते हैं मारे-मारे ज़माना आया है बेहिजाबी का, आम दीदार-ए-यार होगा सुकूत था परदादार जिसका वो राज़…

ادامه مطلب

जुगनू

जुगनू  सुनाऊँ तुम्हे बात एक रात की, कि वो रात अन्धेरी थी बरसात की, चमकने से जुगनु के था इक समा, हवा में उडें जैसे…

ادامه مطلب

परवाना और जुगनू

परवाना और जुगनू  परवाना परवाने की मंज़िल से बहुत दूर है जुगनू क्यों आतिशे-बेसूद से मग़रूर है जुगनू जुगनू अल्लाह का सो शुक्र कि परवाना नहीं मैं…

ادامه مطلب

लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी

लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी  लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी ज़िन्दगी शमअ की सूरत हो ख़ुदाया मेरी दूर दुनिया का…

ادامه مطلب

अक़्ल ने एक दिन ये दिल

अक़्ल ने एक दिन ये दिल से कहा अक़्ल ने एक दिन ये दिल से कहा भूले-भटके की रहनुमा हूँ मैं दिल ने सुनकर कहा-ये…

ادامه مطلب

ख़ुदा का फ़रमान

ख़ुदा का फ़रमान  उट्ठो मेरी दुनिया के ग़रीबों को जगा दो ख़ाक-ए-उमरा के दर-ओ-दीवार हिला दो गर्माओ ग़ुलामों का लहू सोज़-ए-यक़ीं से कुन्जिश्क-ए-फिरोमाया को शाहीं…

ادامه مطلب

जुदाई

जुदाई  जुदाई सूरज बुनता है तारे ज़र से दुनिया के लिए रिदाए-नूरी   आलम है ख़ामोश-ओ-मस्त गोया हर शय की नसीब है हुज़ूरी दरिया कोहसार चाँद- तारे…

ادامه مطلب

परीशाँ हो के मेरी ख़ाक

परीशाँ हो के मेरी ख़ाक आख़िर दिल न बन जाए परीशाँ होके मेरी खाक आखिर दिल न बन जाये जो मुश्किल अब हे या रब…

ادامه مطلب

लबरेज़ है शराब-ए-हक़ीक़त

लबरेज़ है शराब-ए-हक़ीक़त लबरेज़ है शराब-ए-हक़ीक़त से जाम-ए-हिन्द सब फ़लसफ़ी हैं ख़ित्त-ए-मग़रिब के राम-ए-हिन्द ये हिन्दियों के फ़िक्र-ए-फ़लक रस का है असर रिफ़त में आसमाँ…

ادامه مطلب

अगर कज-रौ हैं अंजुम

अगर कज-रौ हैं अंजुम आसमाँ तेरा है या मेरा अगर कज-रौ हैं अंजुम आसमाँ तेरा है या मेरा मुझे फ़िक्र-ए-जहाँ क्यूँ हो जहाँ तेरा है…

ادامه مطلب

ख़ुदी की शोख़ी ओ तुंदी में किब्र ओ नाज़ नहीं

ख़ुदी की शोख़ी ओ तुंदी में किब्र ओ नाज़ नहीं  ख़ुदी की शोख़ी ओ तुंदी में किब्र ओ नाज़ नहीं जे नाज़ हो भी तो…

ادامه مطلب

तराना-ए-हिन्दी (सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोसिताँ हमारा)

तराना-ए-हिन्दी (सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोसिताँ हमारा)  उर्दू में लिखी गई देशभक्ति रचनाओं में शायद सबसे अधिक प्रसिद्ध यह रचना अल्लामा इक़बाल साहब ने बच्चों…

ادامه مطلب

फ़ितरत को ख़िरद के रू-ब-रू कर

फ़ितरत को ख़िरद के रू-ब-रू कर  फ़ितरत को ख़िरद के रू-ब-रू कर तस्ख़ीर-ए-मक़ाम-ए-रंग-ओ-बू कर तू अपनी ख़ुदी को खो चुका है खोई हुई शै की…

ادامه مطلب

लहू

लहू  लहू अगर लहू है बदन में तो ख़ौफ़ है न हिरास  अगर लहू है बदन में तो दिल है बे-वसवास  जिसे मिला ये मताए-ए-गराँ बहा उसको…

ادامه مطلب

हिमाला

हिमाला ऐ हिमाला ऐ फ़सीले किश्वरे-हिन्दोस्ताँ चूमता है तेरी पेशानी को झुककर आसमाँ तुझमें कुछ पैदा नहीं देरीना-रोज़ी के निशाँ तू जवाँ है गर्दिशे-शामो-सहर के…

ادامه مطلب

ख़ुदी में डूबने वालों

ख़ुदी में डूबने वालों   जहाने-ताज़ा की अफ़कारे-ताज़ा से है नमूद कि संगो-ख़िश्त से होते नहीं जहाँ पैदा ख़ुदी में डूबने वालों के अज़्मो-हिम्मत ने…

ادامه مطلب

तराना-ए-हिन्दी (सारे

तराना-ए-हिन्दी (सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोसिताँ हमारा) उर्दू में लिखी गई देशभक्ति रचनाओं में शायद सबसे अधिक प्रसिद्ध यह रचना अल्लामा इक़बाल साहब ने बच्चों…

ادامه مطلب

फिर चराग़े-लाला से रौशन

फिर चराग़े-लाला से रौशन हुए कोहो-दमन फिर चराग़े-लाला से रौशन हुए कोहो-दमन मुझको फिर नग़्मों पे उकसाने लगा मुर्ग़े-चमन फूल हैं सहरा में या परियाँ…

ادامه مطلب

वहीं मेरी कम-नसीबी वही तेरी बे-नियाज़ी

वहीं मेरी कम-नसीबी वही तेरी बे-नियाज़ी  वहीं मेरी कम-नसीबी वही तेरी बे-नियाज़ी मेरे काम कुछ न आया ये कमाल-ए-नै-नवाज़ी मैं कहाँ हूँ तू कहाँ है…

ادامه مطلب

अजब वाइज़ की दींदारी है या रब

अजब वाइज़ की दींदारी है या रब  अजब वाइज़ की दीन-दारी है या रब अदावत है इसे सारे जहाँ से कोई अब तक न ये…

ادامه مطلب

गुलज़ार-ए-हस्त-ओ-बू न बेगानावार देख

गुलज़ार-ए-हस्त-ओ-बू न बेगानावार देख  गुलज़ार-ए-हस्त-ओ-बू न बेगानावार देख है देखने की चीज़ इसे बार बार देख आया है तो जहाँ में मिसाल-ए-शरर देख दम दे…

ادامه مطلب

तिरे इश्क की इंतहा चाहता हूँ

तिरे इश्क की इंतहा चाहता हूँ  तिरे इश्क़ की इंतहा चाहता हूँ मिरी सादगी देख, क्या चाहता हूँ सितम हो कि हो वादा-ए-बेहिजाबी  कोई बात…

ادامه مطلب

परेशाँ हो के मेरी ख़ाक आख़िर दिल न बन जाए

परेशाँ हो के मेरी ख़ाक आख़िर दिल न बन जाए  परेशाँ हो के मेरी ख़ाक आख़िर दिल न बन जाए जो मुश्किल अब है या…

ادامه مطلب

लेकिन मुझे पैदा किया उस

लेकिन मुझे पैदा किया उस देस में तूने इक वलवला-ए-ताज़ा दिया मैंने दिलों को लाहौर से ता-ख़ाके-बुख़ारा-ओ-समरक़ंद लेकिन मुझे पैदा किया उस देस में तूने…

ادامه مطلب

अनोखी वज़्अ है सारे ज़माने से निराले हैं

अनोखी वज़्अ है सारे ज़माने से निराले हैं  अनोखी वज़्अ है सारे ज़माने से निराले हैं ये आशिक़ कौन-सी बस्ती के यारब रहने वाले हैं इलाजे-दर्द…

ادامه مطلب