न आते हमें इसमें तकरार क्या थी

न आते हमें इसमें तकरार क्या थी 
न आते हमें इसमें तकरार क्या थी
मगर वादा करते हुए आरक्या थी
तुम्हारे पयामी ने ख़ुद राज़ खोला
ख़ता इसमें बन्दे की सरकार क्या थी?
भरी बज़्म में अपने आशिक़ को ताड़ा
तिरी आँख मस्ती में हुशियार क्या थी
तअम्मुल तो था उनको आने में क़ासिद 
मगर ये बता तर्ज़े-इन्कार क्या थी?
खिंचे ख़ुद-ब-ख़ुद जानिबे-तूर मूसा
कशिश तेरी ऐ शौक़े-दीदाए क्या थी
कहीं ज़िक्र रहता है इक़बाल तेरा
फ़ुसूँ0 था कोई तेरी गुफ़्तार क्या थी
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